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Thursday, May 21, 2009

Check out आप की याद दीपू

जब यूँही कभी बैठे बैठे, कुछ याद अचानक आ जाए,

हर बात से दिल बेजार सा हो, हर चीज़ से दिल घबरा जाए,


करना भी मुझे कुछ और ही हो, कुछ और ही मुझसे हो जाए,

कुछ और ही सोचूं मैं दिल में, कुछ और ही होंठों पर आए,

ऐसे ही किसी एक लम्हे में चुपके से कभी खामोशी में,

कुछ फूल अचानक खिल जायें, कुछ बीते लम्हे याद आए,

उस वक्त तेरी याद आती है,

जब चांदनी दिल के आँगन में कुछ कहने मुझसे आ जाए,

और खाबीदा से चोक कोई एहसास पे मेरे छ जाए,

जब जुल्फ परेशां चेहरे पर, कुछ और परेशां हो जाए,

जब दर्द भी दिल में होने लगे, और साँस भी बोझल हो जैसे ही,

किसी एक लम्हे में चुपके से कभी खामोशी में,

कुछ फूल अचानक खिल जायें कुछ बीते लम्हे याद आयें,

उस वक्त तेरी याद आती है,

जब शाम ढले चलते चलते मंजिल का न कोई नाम मिले,

हँसता हुआ एक आगाज़ मिले रोता हुआ एक अंजाम मिले,

पलकों के लरजते अश्कों से इस दिलको कोई पैगाम मिले,

और साडी वफाओं के बदले मुझको ही कोई इल्जाम मिले,

ऐसे ही किसी एक लम्हे में चुपकेसे कभी खामोशी में,

कुछ फूल अचानक खिल जायें कुछ बीते लम्हे याद आयें,

उस वक्त तेरी याद आती है,

शिद्दत से तेरी याद आती है..

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